...

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میرا رب

कुछ साज और कुछ अल्फाजों की बनावट है
बा-वफा कोई नहीं बस गद्दारी की मिलावट है
कैसी ये फानी दुनिया बस ख्वाहिशों की लिखावट है
थक चुके हो जीकर बस फिर भी जीने की आहट है
सब मसलों का इक ही हल,
तुम्हें तौहीद के कलमें की दावत है







© Shikha_