...

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मन नहीं टिकता
मन नहीं टिकता,
हमेशा ये भटकता,
अद्भुत यंत्र,
गज़ब,
एक देन,

कभी पागल बनाता
तो कभी दीवाना,
कभी फूल जैसा
तो कभी कांटो की टीस ,
कभी शीतल समीर जैसा
तो कभी शोले गिरता,
कभी विश जैसा तो
कभी अमृत पिलाता,

"मन नहीं टिकता,
इसलिए ये जन्म,
कई फिर मिलना है,
मिलना है फिर,
तुम से,
बिछड़ के।"
© Aditya N. Dani #writer