...

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मूल
बगावत और क्रांति की,
पहली शुरुआत हमेशा से ही,
प्रेम से हुआ हैं,
उसने ही पार की है,
सारी सीमाएं,
देशों की,
धर्मो की,
प्रथाओं की,
समाजों की,
लिंगों की
जातियों की,
नस्लों की,
और हमेशा ही उसे राजा,
धर्म और समाज के ठेकेदारों ने,
पुरजोर कोशिश की दबाने की,
क्यूंकि उनको युद्ध और हिंसा से,
डर नहीं लगता हैं ।
डर लगता हैं तो, उनको प्रेम से।
लेकिन क्या तुम ?
किसी को,
उसके मूल से भी मिटा दोगे ?
वो हमेशा निकल आएगी,
पत्थरों का भी सीना चीड़े,
उस नए प्रांकुर की तरह ।

अखण्ड प्रताप हितैषी