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!...इश्क इबादत है...!
साकी ने उठा के पियाला कह दिया शराब हलाल है
जिनको पीने से गुरेज था, पी लेते हैं बेवजह शराब वो
इस कदर अगर ये शोक ए जूनु बेदार होगा नो–जवानो में
ऐ शेख तू बता कोन इबादत करेगा मस्जिद ओ बुतखाने में
होश में नहीं कोई अब मजलिश ओ मयकदो में कहीं
ढूंढ ए दिल ए बेदार कोई जिंदा बंदा ए खुदा को कहीं
हुस्न अव्वल है फ़ना होने के लिए इंसान को दुनिया में
हम को साकी ने मयखाने में बिठा रखा है अभी
इश्क पर जोर नहीं कि किसी गैर के दामन से लिपट जाए ये
अव्वल ओ आख़िर सब तो फ़ना है मोहब्बत में यहीं
© —-Aun_Ansari
जिनको पीने से गुरेज था, पी लेते हैं बेवजह शराब वो
इस कदर अगर ये शोक ए जूनु बेदार होगा नो–जवानो में
ऐ शेख तू बता कोन इबादत करेगा मस्जिद ओ बुतखाने में
होश में नहीं कोई अब मजलिश ओ मयकदो में कहीं
ढूंढ ए दिल ए बेदार कोई जिंदा बंदा ए खुदा को कहीं
हुस्न अव्वल है फ़ना होने के लिए इंसान को दुनिया में
हम को साकी ने मयखाने में बिठा रखा है अभी
इश्क पर जोर नहीं कि किसी गैर के दामन से लिपट जाए ये
अव्वल ओ आख़िर सब तो फ़ना है मोहब्बत में यहीं
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