...

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फ़िर एक बार मुलाक़ात हो जाए.....
#TrainJourney
एक बार मुलाक़ात क्या हुई, दिल जुड़ गया तुमसे,
स़ब से शाम तक नाम तुम्हारा छिपा रहे हैं सबसे।

मेरी मुस्कराहट का राज़ पुछा करते हैं सब मुझसे,
अधखिला फूल की तरह होंठ मिलते हैं यूँ सबसे।

चाँद को ताकतें हैं, नूर-ए-इश़्क बिखर जाए हम पे,
तुमसे जुड़े रिश्ते को दिल में छिपाए रखें हैं सबसे।

इल्तिज़ा ये है मोहब्बत में फ़िर मिलेंगे कभी तुमसे,
हाल-ए-धडक़न संग ऐलान इश्क़ बयां करेंगे सबसे।

होगी वो अनोखी मुलाक़ात, तदबीर से यूँ कसम से,
तहरीर भी चौंक जाएगा, कायनात बताएगा सबसे।

© LopaTheWriter