मनुष्यता पर निज कलंक हो....
इस देस में लाडो,
मनुष्य नहीं पशु बसते हैं
पशुओं में भी पशुतत्व धर्म होता है
सिंह दूसरे सिंहनी को निर्वस्त्र नहीं करता है
पाप कर्म , साथ उसके कोई दुष्कर्म नहीं करता है
सियार किसी और समाज के सियारन को दंड नहीं देता है
वह पशु हो फिर भी, पशुतत्व धर्म नहीं खोता है
तुम मनुज नहीं मनुज की मनुजता पर एक...
मनुष्य नहीं पशु बसते हैं
पशुओं में भी पशुतत्व धर्म होता है
सिंह दूसरे सिंहनी को निर्वस्त्र नहीं करता है
पाप कर्म , साथ उसके कोई दुष्कर्म नहीं करता है
सियार किसी और समाज के सियारन को दंड नहीं देता है
वह पशु हो फिर भी, पशुतत्व धर्म नहीं खोता है
तुम मनुज नहीं मनुज की मनुजता पर एक...