तुम ही सब हो...
शोरशराबे वाली इस जिंदगी बीच
तुम सुकून का एक पल हो।
थोड़ा थम के तुझमें कई जिंदगियां
जी लेता हूं।
कांटों से भरे घने जंगल के बीच
तालाब में खिला कमल हो।
कांटों के घाव का दर्द भुलाकर
तुझे थोड़ा छू लेता हूं।
ग्रीष्म की कड़ी दोपहरी के बीच
मिला वो शीतल जल का प्याला हो।
रूह तक लगी प्यास को
तूझसे घूंट घूंट बुझाता हूं।
कड़ी तड़पाती भूख के बीच
मिला रोटी का वो निवाला...
तुम सुकून का एक पल हो।
थोड़ा थम के तुझमें कई जिंदगियां
जी लेता हूं।
कांटों से भरे घने जंगल के बीच
तालाब में खिला कमल हो।
कांटों के घाव का दर्द भुलाकर
तुझे थोड़ा छू लेता हूं।
ग्रीष्म की कड़ी दोपहरी के बीच
मिला वो शीतल जल का प्याला हो।
रूह तक लगी प्यास को
तूझसे घूंट घूंट बुझाता हूं।
कड़ी तड़पाती भूख के बीच
मिला रोटी का वो निवाला...