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क्यों शर्मावों छो
खम्मा घणी राम राम सा
राजस्थान दिवस री मौकळी - मौकळी बधाई .......! म्हँ किरण कुमावत जयपुर आळी, आपरे सामी एक छोटी सी कविता लेर आई छूँ ।
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घणो करो अभिमान थे, गाथा बलिदाना री गावों छो
बडेरा की जियाँ इण माटी नें, देवा सी ध्यावों छो
निभाओ छो सगळा रीति रिवाज़, कदे ना बिसरावों छो
फेर बताओं मनैं क्यूँ अपणी बोली बोलण में थे शर्मावों छो
धोळी धोती कुर्तो पहन, साफा नें शान बतावों छो
भेळा बैठ मिनखा में, मूछ्या रे ताव लगावों छो
जाकै महंगी होटला में , दाल बाटी चाव से खावों छो
फेर बताओं मनैं क्यूँ अपणी बोली बोलण में थे शर्मावों छो
करो बड़ाई धोरा री , जद देश विदेशा जावों छो
हिवड़ा में वारे छाप अपणी ,छोड़ आवों छो
करबा लाग्या वे होड़ आपणी , देख मन में हर्षावों छो
फेर बताओं मनैं क्यूँ अपणी बोली बोलण में थे शर्मावों छो
मिठा रसा स्यूँ भरीयोड़ी बोली , क्यूँ इण नें जहर में मिलावों छो
जद बोले कोई बिचारो ,तो आड़ू कहकर क्यूँ उणरो मान घटावो छो
सांचो करो नाज थे राजस्थान पे , सांचो हेत जतावों छो
फेर बताओं मनैं क्यूँ अपणी बोली बोलण में थे शर्मावों छो
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