कुछ तो है दरमियां.....
यूं ही नही मेरे लम्ह़ों में तुम हो
कुछ तो है दरमियां हमारे तुम्हारे
कल भी थे किस्से उन गलियों में तेरी
आज भी मशहूर हैं हमारे तुम्हारे
आंखों में नमी तो तुझको भी है
मेरी कमी तो तुझको भी है
और कयामत तो...
कुछ तो है दरमियां हमारे तुम्हारे
कल भी थे किस्से उन गलियों में तेरी
आज भी मशहूर हैं हमारे तुम्हारे
आंखों में नमी तो तुझको भी है
मेरी कमी तो तुझको भी है
और कयामत तो...