...

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सुना है !
सुना है फिर से संभलने लगे हो तुम,
किसी नए के आ जाने से फिर से, बदलने जो लगे हो तुम,
दुनिया की परवाह तो कभी थी ही नहीं तुम्हे,
पर फिर भी यूं दूरियां बढ़ाने लगे हो तुम,
जाने पता नही कब,कहां,क्यों और कैसे,
पर मेरे अंधेरे ख्वाबों से दूर जाने लगे हो तुम,
चलो मुझसे नही तो ना ही सही,
किसी और से तो सच्ची मोहब्ब्त निभाने लगे हो तुम,
हां सुना है मैने फिर से संभलने लगे हो तुम
© Mritunjay Dwivedi