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मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम
विचलित हुआ संघर्ष से ,तो मैंने श्री राम को पढ़ा
सुख छोड़कर वन गमन को दिए चल
वल्कल ओढ़ कर
आज्ञा माँ की सुनकर कुंठित न हुआ

कैकयी की चरण को छूकर त्याग महल को वन के नुकीले और कंटीली पथ की ओर बढ़ा

वो त्याग और संघर्ष का पथिक व्यक्ति विशेष था
भगवान विष्णु का अवतार था

परंतु जीवन साधारण मनुष्य का वेश था

कभी अपने धर्म से न कर्म से विचलित हुआ

राम बनकर निकला अयोध्या से 14 वर्ष के लिए

वन में वास को

पत्नी सीता संग लक्ष्मण भाई

वन का जीवन व्यतीत कर

न कभी मन उनका विचलीत हुआ

सौम्य मुस्कुराहट है श्री राम का परिचय
पुत्र धर्म का पालन उनका ध्येय निश्चय
जिन्होने सभी के हृदय को छुआ
कर्तव्य पालन विकट परिस्थितियों में
जो थे पारंगत हर नीतियों में

सम्पूर्ण समर्पण किया स्वयं को जिन्होंने रघुकुल की नीतियों में

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जिनका नाम पड़ा

हर जंग अपने जीवन का जिन्होंने नियोजित, तथा मर्यादित ध्येय से लड़ा

विचलित हुआ संघर्ष से ,तो मैंने श्री राम को पढ़ा
सुख छोड़कर वन गमन में वल्कल ओढ़ कर
आज्ञा माँ की सुनकर कुंठित न हुआ

कैकयी की चरण को छूकर त्याग महल को वन के नुकीले और कंटीली पथ की ओर बढ़ा

© 𝓴𝓾𝓵𝓭𝓮𝓮𝓹 𝓡𝓪𝓽𝓱𝓸𝓻𝓮