प्रेम के दायरे .... 🖋️🌼
एक पल में बना लिया
जीवन का अर्थ जिसे,
कभी लगे तुमको वो बुरे
जैसे कड़वे करेले हों।
पा लेना किसी को
ज़रूरी नहीं प्रेम का अंत
न रखो चाह पाने की
न बिछड़ने के झमेले हों।
प्रेम बहुत परे है
पाने और खोने के दायरे से,
ख़ाक छानते कितने यहाँ
तुम क्या अकेले हो?
वैसे प्रेम की थाह पाना
क्या उसके बस की बात है?
नापी हों चाहे धरती कितनी
चाहे अंबर नीले हों।
हाथ छुड़ाकर जाने वाला
अगर लौटा भी कभी
दवा क्या करेगा,
उनकी , तुमने दुःख जो झेले हों?
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© संवेदना