...

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प्रथम रश्मि
प्रथम रश्मि-

कितनी बार कहा तुमसे अब तुम यूं छिपना रहने दो
हे मौलिक-रश्मि, यू पत्तों में छिपकर रहना अब रहने दो
वेग लगाओ पद्मालिंगन से खिलने में।

कितनी बार कहा तुमसे अब तुम यूं छिपना रहने दो
हे पारस-रश्मि, तुम मेघा को कुंदन सा अभिवादन अब सहने दो
अब पार लगाओ ह्रदय रागिनी मिलने में।

@kamal