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तुम हां तुम....बस सिर्फ तुम❤️
जब से हुई है तुम्हारी आमद मेरे शहर में ,
रूठे रूठे से लगते है मुझसे मयखाने सारे ,
जब से हुआ है दीदार तुम्हारा ;
खोए खोए से लगते है नज़ारे सारे।
चौराहे की वो सुनसान गलियां ,
जब तुम निकलो तो सब चहक उठे,
अब हाल क्या बताऊं अपने दिल का;
आओ पास तो ये जोरो से धड़क उठे।
जब से देखा है तुमने मदहोश नज़रों से,
हम खुद में ही बेगाने से लगते है;
जब से हुई है मोहब्बत मुझको तुमसे,
हम तुम में जाने पहचाने से लगते है।
© All Rights Reserved
रूठे रूठे से लगते है मुझसे मयखाने सारे ,
जब से हुआ है दीदार तुम्हारा ;
खोए खोए से लगते है नज़ारे सारे।
चौराहे की वो सुनसान गलियां ,
जब तुम निकलो तो सब चहक उठे,
अब हाल क्या बताऊं अपने दिल का;
आओ पास तो ये जोरो से धड़क उठे।
जब से देखा है तुमने मदहोश नज़रों से,
हम खुद में ही बेगाने से लगते है;
जब से हुई है मोहब्बत मुझको तुमसे,
हम तुम में जाने पहचाने से लगते है।
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