...

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क्या ही करना
तुझसे अब भला मुलाकात क्या करना
बुरे है बुरे ही सही अब सवालात क्या करना

ज़िन्दगी मिली है जीना तो हर हाल मे ही है
फ़िर अच्छे हो या बुरे तो बुरे हालात क्या करना

हम तो अपने मे ही हो चुके हैं कही गुम पता ही नहीं
ज़ब खुद की ख़बर नहीं दूजे की तलाश क्या करना

ज़िन्दगी अपने सफ़र पर है मंज़ील की कोई ख़बर नहीं
उजड़े हुए है ख़्वाब तो फ़िर हयात कों आबाद क्या करना

गम ख़ुशी दौलत या शोहरत के जिस्त में गर मायने ना हों
फ़िर मिले चाहे ज़ीत का आसमान ओ माहताब क्या करना
© V K Jain