...

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ग़ज़ल...
अक्सर वो जब भी मिलती है
एक गहरी अनलिखी ग़ज़ल
नज़र आती है
इस अनलिखी ग़ज़ल को
मैं कई बार लिख चुका हूं
पर आश्चर्य, की वो अनलिखी ही रह जाती है
पर क्या पता
यह अनलिखी नज़्म
लिखने के लिए हो ही ना
यह सिर्फ़ जीने के लिए ही हो
क्यू कि पेड़ पंछी पैदा नहीं करते
पर पंछियों को घर जरूर देते हैं...✍
jaswinder chahal
24/10/2024
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