...

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मैं नाराज़ नहीं हूँ
मेरा दिल दुखाना ,
हरबार दर्द दे जाना।
वादा कर के तेरा भूलना।
तुझे ज़रा भी महसूस न होना।
फिर भी तुम से ...
मैं नाराज़ नहीं हूँ।

दर्द, तकलीफ़
घुटन , एहसास
सब धीमी मौत
की तरफ़ दिल को
ले जा रहे थे।
तुम्हें ये महसूस न होना।
फिर भी तुम से ...
मैं नाराज़ नही हूँ।

सांसे चल रही थी
ज़िस्म भी रहा जिंदा।
मुझ को जीना अब
जैसा लगा हो शर्मिंदा।
हौले हौले
सारी ख्वाहिशों का
दम घुटना
फिर भी तुम से
मै नाराज़ नही हूँ।

मैन वक़्त के हाथों
सब कुछ छोड़ रखा था।
वक़्त का फैसला देखना था...

देखों न वक़्त शायद न्याय किया,
जिस को तुम ने वक़्त दिया ,
दिल दिया, प्यार दिया ,
उसने बेवक़्त तुन्हें छोड़ा,

आज वक़्त ने फिर तुम्हे
मेरे सामने लाके खड़ा किया।
वक़्त का शुक्रिया।
लेकिन
मैं तुम से नाराज़ नही हूँ।


शायद समय पर इंसान को
जागना चाहिए...
कर्मों का थोड़ा अवलोकन करना
ज़रूरी है।
सुना है कर्म लौट कर
फिर आता है।
कर्म भी नश्वर अविनाशी
है।
हमने सुना था..
"जैसा करना वैसा भरना"

© SmileGoesMiles
#pain #dard #poem @Writco @Oshir