सोचा था अपने यार से मिलूंगी.....
छत पर जाते ही
घना अंधेरा बिछा हुआ था,
ग्रीष्म ऋतु के माह में भी
शांति का माहौल छाया हुआ था।
ना कोई चहल पहल ना कोई ध्वनि
दुनिया की सारी आवाज़ें मानो इसी रात में समा गई,
सोचा था...
घना अंधेरा बिछा हुआ था,
ग्रीष्म ऋतु के माह में भी
शांति का माहौल छाया हुआ था।
ना कोई चहल पहल ना कोई ध्वनि
दुनिया की सारी आवाज़ें मानो इसी रात में समा गई,
सोचा था...