...

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वस्तु प्रियता
ईश्वर है?
कि नहीं?
है तो कहां , कैसे और क्यों है?
नहीं है तो क्यों , कैसे और कहां नहीं है?

उसकी मूर्तियां मनुष्य ही क्यों बनाते हैं?
जबकि पशु ,पक्छियों में यह रिवाज नहीं?
क्योंकि उनमें तर्क की शक्ति नहीं पाई जाती
नहीं तो उल्लू भी उल्लू जैसा ईश्वर बनाता
कुत्ता भी कुत्ते जैसा ईश्वर बनाता
क्युंकि मनुष्य ने भी मनुष्य जैसा ईश्वर बनाया है
क्युंकि उसमें तर्क पाया जाता है

पृथ्वी पर इतने प्राणियों में
उसे ही तर्क क्यूं और किसने दिया
यह अब तक मानव समाज में सवाल ही रहा है
और आगे भी शायद रहेगा

बुद्धि (तर्क) ब्रम्हांड का सबसे खतरनाक औजार है
जिसने न जाने कितने खतरनाक औजार हैं बनाए
उसमें से कुछ होते हैं मूर्त और कुछ होते हैं अमूर्त
मूर्त में उसने तलवार बनाए ,बंदूक बनाए तोप व परमाणु बम बनाए
जो अमूर्त औजारों से कम खतरनाक होते हैं
अमूर्त में उसने विचारधारा बनाए
संस्कार बनाए रीति रिवाज बनाए
कानून और धर्म सिद्धांत बनाए

प्रत्येक औजार के होते हैं दो प्रयोग
एक प्रयोग में वह सकारात्मक है
दूसरे में है वह शोषणकारी

सकारात्मक में वह करता है हमें सुरक्छित
दूसरे प्राणियों , मनुष्यों व राष्ट्रों से
तलवार,बंदूक से हम हिंसक पशुओं से
तोप और बम से हम दूसरे राष्ट्रों से
और नैतिक सिद्धांत व कानून
समाज में दूसरे मनुष्य से करते हैं हमारी रक्छा
क्योंकि दुनियां के प्रत्येक समाजों ने
अपने समाज को चलाने के लिये
बना रखे हैं सामाजिक या नैतिक व्यवस्था
जिससे समाज में व्यक्ति चैन की बंशी बजाकर रहता है
पर अगर ये सब औजार न हों तो क्या होगा??

ये संस्कृतियां समाज के कुछ ही लोगों के लिए
होती हैं सुखपूर्ण
अधिकांश के जीवन को कर देती...