...

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गजल
कोई तो रात किसी रह गुजार में होगी
दिया जलाओ हवा इंतजार में होगी।

निकल ना सकोगे इस खुद फरेबी से तुम
यह उम्र खत्म इसी कारोबार में होगी।

नजर ना आऊंगा मैं आखरी उड़ान के साथ
बस एक चीख बिखरते गुब्बार में होगी

क्या खबर थी कि हम जिस से छुपके आए थे
वो धूप भी शजरे छायादार में होगी।

लिखा हुआ था रोशन खजाने के अंदर
तुम्हारी मौत भी इसी अंधकार में होगी।