...

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इश्क इंतजार है गर ऐतबार है
#इंतज़ार
इश्क इंतजार है गर ऐतबार है
इश्क से रूबरू हो गया जो
समझ लीजिये खुदा मेहरबान है
इश्क सच्चा हो तो सभी कद्रदान है
फूल का खिलना भी इंतजार है
बिछङकर मिलना भी इंतजार है
मोहब्बत पर इख़्तियार हो गया जिसे
फिर क्या शिकवा इंतजार का उसे
मंदिर की घंटियो मे इश्क है
मस्जिद की अजानों में इश्क है
गुरूद्वारे के सबद कीर्तन मे इश्क है
कबिरा की फक्कङ बोली में इश्क है
जहां मे हर शख्स को इश्क है
बस इश्क इंतजार का दौर अलग है
इंतजार सबको है अपनी मंजिल का
हर किसी को अपनी मंजिल से इश्क है।
इश्क इंतजार है गर ऐतबार है।
© Rakesh Rahi