...

3 views

नज़म
अजीब कशमकश है,कैसी ये बेबसी है
तेरे बगैर हालत, टूटे दरख़्त सी है

मालिक के करम से यूँ,सब कुछ है पास मेरे
मेरी हयात मे फ़क़त, इक तेरी ही कमी है

कहते हैं चाँद यूँ तो, सबसे है खूबसूरत
दावा है मगर मेरा, तुम सा हसीं नहीं है

भर भर के नज़रें तुमको, देखे न और कोई
पाकीज़ा तेरे रुख़ पे,हिजाब लाज़मी है

ये आँखें मय के प्याले,ये जुल्फें काले बादल
तू आसमाँ से उतरी, हुई हसीं परी है

रंगत गुलों में तेरी, कलियों में तेरी खुशबु
तू है बहार-ए-गुलशन, हर अदा दिलनशीं है


© GULSHANPALCHAMBA