...

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फ़लक
फलक से टुटते सितारे सा हो जाऊँगा
साहिल की सुखी रेत सा हो जाऊँगा....

खुशियोकी मौजो मुझ से जरा दुर रहना
छु लोगे तो बे-वजहा गिला हो जाऊँगा....

तुम अगर चाहो तो जुदा हो जाऊंगा
ये बात और है के मै फना हो जाऊंगा....

आना कभी जिंदगी मे तुम भोर की तरहा
तुम अगर चाहो तो मै भी सबा हो जाऊंगा...

बन के आना तुम चाँदनी फलक पर
मै भी फिर महताब सा हो जाउंगा...
© संदीप देशमुख