...

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अंजाना सफ़र
अनजाना ये सफर है तन्हाई हमसफर है।
मालूम नहीं मुझको की जाना अब किधर है।

कोई जो इस सफर में मेरे साथ-साथ चलता।
जो ये सफर कठिन है आसानी में वो कटता।

मैं थक गया हूं मुझको तहराव नही मिलता।
आराम करने खातिर कोई गांव नही मिलता।

मुझको न कोई अपना अब नजर नहीं आता।
जिससे मैं अपने दुख और ये दर्द मैं सुनाता।

अब दिन ये ढल रहा है और रात ने दी दस्तक।
दिखती नहीं है मंजिल यूं ही चलूं मैं कब तक।

इस रास्ते का मुझको अब अंत नहीं दिखता।
मुरझा गया है दिल मेरा पहले था जो खिलता।
© Ank's