हर रात
गुनगुनाता हुआ दिन ग़ुजरा और फ़िर से ये रात आई
फ़िर उसी शख्स की यादे और बातो में वही बात आई
भूलने को जिसे करते रहे हर वक़्त ही मसक्कत
फ़िर भी ज़हन में फकत ओ फकत उसी की याद आई
गये थे...
फ़िर उसी शख्स की यादे और बातो में वही बात आई
भूलने को जिसे करते रहे हर वक़्त ही मसक्कत
फ़िर भी ज़हन में फकत ओ फकत उसी की याद आई
गये थे...