उम्र
एक उम्र थी जो बीत गई मेरे सपनों को भी ले गई! "बचपन से जवानी तक मजे मैंने उड़ा लिये अब घर संभालने की बारी भी आ गई! एक उम्र थी जो बीत गई..
बड़े अरमानों से आसमान में उड़ने के सपने पाले थे !
आज उस पंछी के पंख टूट रहे हैं...
बड़े अरमानों से आसमान में उड़ने के सपने पाले थे !
आज उस पंछी के पंख टूट रहे हैं...