...

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आजाद पंक्षी
एक दहलीज जो वो लांघना चहाती हैं,
कुछ रिश्ते मजबूरी के जो निभाना नहीं चहाती अब
बंदीशे जिसने उसे जकड़ रखा हैं उसे तोड़ कर एक‌ आजाद पक्षी की तरह उड़ जाना चहाती हैं अब
सारी रस्में इस दुनिया कि तोड़ अपने मन-मुताबिक जीवन जीना चहाती हैं अब
किसी बन्धन में ना बन्द कर अब अकेले ही इस जीवन कि राह पर चलना चहाती हैं अब
एक दहलीज जो वो लांघना चहाती हैं अब।।

© RRK