...

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सपने मत जलाओ
जीवन भर कमाये को
यूं लूटाया ना करो।
मेहनत से घर बनाये है
यूं जलाया ना करो ।

मेरे आंसु ना पूछें ठीक
दर्द बढ़ाया ना करो।
ख्वाब सबके ही होते
यूं मिटाया ना करो।


पत्थर -ईंट बटोरी तब
बनाया अपना घर।
आंसु भीगे आंखें नम
दिनकर है मेरा घर।


समंदर की गहराई में
नहरें डुब जाती है ।
नींव कच्ची हो अपनी तो
आशा छूट जाती है ।

अंधेरी रात होने बाद,
उजाली रात आती है
झूठ कितना भी पल जाये
सत्य की बात आती है।

© जितेन्द्र कुमार 'सरकार'