निस्वार्थ
#जाने-दो..!
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया,
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
अपनों से भी तो ठगा गया,
कुछ पल की खुशियां जिसे मिली,
उन खुशियों से भी छला गया,
गम तो है उसके जाने का ,
इंसान क्यों ऐसा...
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया,
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
अपनों से भी तो ठगा गया,
कुछ पल की खुशियां जिसे मिली,
उन खुशियों से भी छला गया,
गम तो है उसके जाने का ,
इंसान क्यों ऐसा...