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मां
जो तारें तोड़ लाने की बात कभी नहीं करती है,
वो बच्चों के खातिर जमीं आसमां एक कर देती है!!
वो भूखे पेट रहकर,रूखी सूखी खाकर भी कभी,
अपने बच्चों को भूखा कभी भी नहीं रखतीं हैं!!
वो सो लेती गीले बिस्तर में अक्सर ही पर कभी,
लाल को अपने हमेशा सूखा बिछौना दे देती है!!
वो नहीं पहनती नये कपड़े कभी त्यौहारों में पर,
वो बच्चों को हमेशा मनपसंद कपड़े दिलवाती है!!
वो आंधी तूफां क्या समाज से भी लड़ जाती है,
बच्चों को सुरक्षा मिलें बस इस चिंता में रहती हैं!!
मां तो देवी है पूज्य है असीमित उसकी ताकत है,
मनुष्य क्या, देवता भी उसके चरणों में नतमस्तक हो जाते हैं!!
© वैदेही
वो बच्चों के खातिर जमीं आसमां एक कर देती है!!
वो भूखे पेट रहकर,रूखी सूखी खाकर भी कभी,
अपने बच्चों को भूखा कभी भी नहीं रखतीं हैं!!
वो सो लेती गीले बिस्तर में अक्सर ही पर कभी,
लाल को अपने हमेशा सूखा बिछौना दे देती है!!
वो नहीं पहनती नये कपड़े कभी त्यौहारों में पर,
वो बच्चों को हमेशा मनपसंद कपड़े दिलवाती है!!
वो आंधी तूफां क्या समाज से भी लड़ जाती है,
बच्चों को सुरक्षा मिलें बस इस चिंता में रहती हैं!!
मां तो देवी है पूज्य है असीमित उसकी ताकत है,
मनुष्य क्या, देवता भी उसके चरणों में नतमस्तक हो जाते हैं!!
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