...

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शोर...
...शोर...
दिल का शोर आंसू में बह जाता है
अल्फाज कुछ कहे,
इसके पहले ,
दिल का हाल बह जाता है।

अपनों के वार काटते है
सुकून केलिए हम भटकते है

दिन रात खुशियों केलिए भागते है
मगर मिलकर खुशियां नहीं बाटते

जख्मी दिल सबके कहलाते हैं
मजाल है कोई मलहम लगाए
हाल ए दिल...