इस युग में
इस युग में सही गलत का अन्तर करना हो गया मुश्किल,
हे ईश्वर काश मुझे दिव्यदृष्टि जाती जल्दी मिल!
देख झूठ के साथ है भीड़ भारी,
यह तमाशा देख चली गई मेरी सारी समझदारी!
नित नई कहानियाँ सुन बुद्धि भी चकरा गई,
बोली...
हे ईश्वर काश मुझे दिव्यदृष्टि जाती जल्दी मिल!
देख झूठ के साथ है भीड़ भारी,
यह तमाशा देख चली गई मेरी सारी समझदारी!
नित नई कहानियाँ सुन बुद्धि भी चकरा गई,
बोली...