51 views
विवाहेत्तर प्रेम
शादी से पहले लगता है
शादी के बाद कोई भला कैसे
कर लेता है प्रेम
पति या पत्नी को छोड़कर
जाने कैसे लोग होंगे वो?
कैसा चरित्र है उनका
सिर्फ अपनी शादी के बाद ही
समझ आता है मन को
प्रेम सिंदूर से नहीं बंधा
ना सात फेरों से
प्रेम का होना ना होना चरित्र का नहीं
जीवन का प्रमाण है
प्रेम होता है एक वट वृक्ष
पनपता है लेकिन
अपने ही मन से
प्रतिकूल परिस्थितियों में ही बहुधा
© Poeत्रीباز
शादी के बाद कोई भला कैसे
कर लेता है प्रेम
पति या पत्नी को छोड़कर
जाने कैसे लोग होंगे वो?
कैसा चरित्र है उनका
सिर्फ अपनी शादी के बाद ही
समझ आता है मन को
प्रेम सिंदूर से नहीं बंधा
ना सात फेरों से
प्रेम का होना ना होना चरित्र का नहीं
जीवन का प्रमाण है
प्रेम होता है एक वट वृक्ष
पनपता है लेकिन
अपने ही मन से
प्रतिकूल परिस्थितियों में ही बहुधा
© Poeत्रीباز
Related Stories
77 Likes
21
Comments
77 Likes
21
Comments