...

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ख़ुशनुमा ए मक़ाम

जो डिगता नहीं क़यामत में, वो आशावादी कहलाता है,
चाहे ग़म का सागर हो, खुशियों की मोती ढूँढ लाता है।

गुज़रे गर कुछ बुरे काल, चेहरे पर शिकन नहीं आती है,
तोड़कर...