...

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सच का ताप, तुझ पे हिसाब
"कहता हैं, धरती को बचाओ, पर खुद को बचाने की चाल है,
ये ग्रह तुझसे पहले भी था, और तेरे बाद भी कमाल है।

तू समझता खुद को मालिक, पर तू बस किरदार है,
अब धरती बोलेगी, इसकी खामोशी का भी हिसाब है।

आ बैठ, सुन कहानी, सच तुझे झकझोरेगा,
राजपूत के अंदाज में तेरे घमंड को तोड़ेगा।

तू बोलता है क्लाइमेट, पर चाल तुझे सता रही,
मैं तेरे जाल से निकलकर, हूँ मुस्कुरा रही।

यह प्लास्टिक यह धुआं तेरी बर्बादी को लिख रहा
फिर भी तुझे उसमें अपना मुनाफा दिख रहा।

40°C तेरी हद, पर मेरी हद अनंत है,
तू अपनी सोच में छोटा, पर मेरी कहानी दिग्गज है।

लावा...