...

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तुम्हारा साथ
चल तो रहा हूं तुम्हारे बिना
पता नहीं मंज़िल पा पाऊंगा या नहीं
थक सा गया हूं.. थम सा गया हूं
पता नहीं जी पाऊंगा या नहीं

तुम्हारी एक हसी.. बस एक हसी
मुझमें नई जान भर देती है
तुम्हारी एक आवाज़.. बस एक आवाज़
मेरी ज़िंदगी रोशन कर देती है

तरस रहा हूं.. बस तरस रहा हूं
तुम्हारी एक झलक मिल जाए
बरस रहीं हैं ..आंखें बरस रहीं हैं
तुम्हारी एक मुस्कुराहट दिख जाए

खिल उठेगी मेरी दुनिया
जगमग होगा मेरा जहां
जो एहसास तुम्हारे साथ होने में है
वह एहसास कहीं और कहां

© prasanna