तुम ईश्वर हो..प्रेम हो..जीवन हो...
"बिन पिता की बच्ची को
हमेशा देखा लड़कों से चिढ़ते हुए
पर अनायास ही लग गयी तुम्हारे गले से
नहीं देखा उसे कभी रोते हुए
पर तुम्हारे तोहफ़ा देने पर
छलक उठीं उसकी आँखें
जिसे कभी फर्क़ नहीं पड़ा
घर पर किसी के भी आने-जाने से
वो उदास थी तुम्हारी रुख़सती के वक़्त
शायद तुम्हारे सीने से लग महसूस किया उसने पिता का स्नेहिल स्पर्श...
हमेशा देखा लड़कों से चिढ़ते हुए
पर अनायास ही लग गयी तुम्हारे गले से
नहीं देखा उसे कभी रोते हुए
पर तुम्हारे तोहफ़ा देने पर
छलक उठीं उसकी आँखें
जिसे कभी फर्क़ नहीं पड़ा
घर पर किसी के भी आने-जाने से
वो उदास थी तुम्हारी रुख़सती के वक़्त
शायद तुम्हारे सीने से लग महसूस किया उसने पिता का स्नेहिल स्पर्श...