अनचाहा स्पर्श
उदासी के तकिये पर दर्द की थपकियाँ हैं
आँखों मे झाँको तो प्रेम सी उदासियाँ हैं
नंगे पांव पीछे के कमरे से एक साया आया है
बैठ आज सिराहने उसके हौले से मुस्काया है
आँखें भींचे मुट्ठी बाँधे वो ख़ुद को छोड़ रही है
एक गुड़ियाँ देखो कैसे फुर्र से लड़की हो रही है..
किसी अनचाहे से स्पर्श को कैसे मिटाया जाता है, कुछ नज़रों का देखना जाने कैसे भुलाया जाता है। #love
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आँखों मे झाँको तो प्रेम सी उदासियाँ हैं
नंगे पांव पीछे के कमरे से एक साया आया है
बैठ आज सिराहने उसके हौले से मुस्काया है
आँखें भींचे मुट्ठी बाँधे वो ख़ुद को छोड़ रही है
एक गुड़ियाँ देखो कैसे फुर्र से लड़की हो रही है..
किसी अनचाहे से स्पर्श को कैसे मिटाया जाता है, कुछ नज़रों का देखना जाने कैसे भुलाया जाता है। #love
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