...

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“ये वीरानोंं में मेरे, आता है कौन?"
ऐ-आहट, थोड़ा बता के तो जा,
ये वीरानों में मेरे, आता है कौन ?

खुश्क जख्मों के सिवा, कोई नहीं मेरा,
फिर मेरी मिट्टी पे होठ, लगाता है कौन ?

दिखाती है हवाएं, रोब भी ना जाने क्यूं,
दीए बुझने से भी मेरे, बचाता है कौन ?...