...

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पत्ती का अनंत सफर
#हवामेंपत्ती

गिरी हुई पत्ती, शाख से बिछड़ी,
हवा की बाहों में चुपचाप सिमटी,
दुनिया की राहों पर बेख़बर चली,
जैसे कोई बंजारा अनंत को गले लगा चला।

हवा कभी उसे ऊपर उठाती,
तो कभी धरती के आँचल में सुलाती,
वह न तो ठहरती, न कोई गिला करती,
बस मंज़िलों से अनजान, सफ़र को अपना मान चली।

हर...