क्या लिखेंगे
मौत खुद उजागर होके, इशारा कातिल का देदे,
सच्चाई को फिर भी झुठ में,तब्दील कर लिखेंगे
जो बिक गए हो किसीको, नकाब, शराफत का पहनाने में,
खिलाफत अब उसकी, ये अखबार क्या लिखेंगे
हम, तेरी गली, तेरे शहर, तेरी नफरत,
तेरे गुस्से से निकल आए हैं
अब सुकून-ए-करार लिखेंगे, तेरी तकरार क्या लिखेंगे
और,
तुझसे मिला करेंगे, तेरेही खयालो में,
मोहोब्बत किसकी दफन हुई हैं,
बेइंतेहा रही हैं, और बेशुमार लिखेंगे
© 🖋️दिलं-ए-जज्बात
सच्चाई को फिर भी झुठ में,तब्दील कर लिखेंगे
जो बिक गए हो किसीको, नकाब, शराफत का पहनाने में,
खिलाफत अब उसकी, ये अखबार क्या लिखेंगे
हम, तेरी गली, तेरे शहर, तेरी नफरत,
तेरे गुस्से से निकल आए हैं
अब सुकून-ए-करार लिखेंगे, तेरी तकरार क्या लिखेंगे
और,
तुझसे मिला करेंगे, तेरेही खयालो में,
मोहोब्बत किसकी दफन हुई हैं,
बेइंतेहा रही हैं, और बेशुमार लिखेंगे
© 🖋️दिलं-ए-जज्बात