अब तो मैखाने भी मैखाने नहीं लगते हैं
अब तो मैखाने भी मैखाने नहीं लगते हैं
सोने के ढ़ेर भी सुहाने नहीं लगते हैं
तुम दूर हो मुझसे इसलिए
अपने घर में कोई खजाने नहीं लगते हैं
अब तो मैखाने ,,,,,,
छत दीवार आशियाने,आशियने नहीं लगते हैं
प्लंग बिस्तर मखमली चादर वीरेन से लगते हैं
यह मधुर मधुर गीत गानों में तराने नहीं लगते हैं
तुम नहीं हो न तो यह धर सुहाने...
सोने के ढ़ेर भी सुहाने नहीं लगते हैं
तुम दूर हो मुझसे इसलिए
अपने घर में कोई खजाने नहीं लगते हैं
अब तो मैखाने ,,,,,,
छत दीवार आशियाने,आशियने नहीं लगते हैं
प्लंग बिस्तर मखमली चादर वीरेन से लगते हैं
यह मधुर मधुर गीत गानों में तराने नहीं लगते हैं
तुम नहीं हो न तो यह धर सुहाने...