...

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मुखौटा
ऊपर हास्य का मुखौटा
अंदर है उदासी और दर्द
सब मुखौटे ले घूम रहे है
चाहे आदमी हो या औरत

चुनाव से पहले हवाई वादे
जीत के बाद इनके लालची इरादे
घुट घुट जी रहे किसान और युवा
यह करते सिर्फ साम्प्रदायिक धुवा

उप्पर वालो से अच्छा तो नीचे वालो से बुरा
ऐसा मौकापरस्त यह व्यवहार करते
समयानुसार ये अपना मुखौटा बदलते
जरूरतमंदों के प्रति प्रेम ये नही समझते

दुनिया के सामने वो समझदार बनते
नेता विकास के नाम पे नफरत फैलाते
प्यार और दोस्ती के जज्बात भी इनके झूठे
अच्छे बुरे का मुखौटा ये व्यक्तिनुसार बदलते