नीयत
महक रही साँसे और रूह वस्ल तुझसे जो हुआ
बरकरार रहे ये करता रहूँगा रब से बस ये दुआ
इंतज़ार के जो आलम गुजरें उससे शिकवा नहीं
तू मिल गया उसके एवज नहीं अब कोई भी गिला
ज़फर तक सफ़र ये रूकना बिल्कुल ही ना चाहिए
तुझ संग लगी जो प्रीत चलता ही रहे ये सिलसिला
नीयत में कोई दाग़ नहीं ना ही कोई फरेब दिल में
हमेशा खैरियत चाही हमसे अब तलक जो भी मिला
फ़िर तुझसे से तो नाता इश्क़ का जोड़ा है हमने
सनम तुझें तो भूले से भी हम कैसे भूलेंगे भला
© V K Jain
बरकरार रहे ये करता रहूँगा रब से बस ये दुआ
इंतज़ार के जो आलम गुजरें उससे शिकवा नहीं
तू मिल गया उसके एवज नहीं अब कोई भी गिला
ज़फर तक सफ़र ये रूकना बिल्कुल ही ना चाहिए
तुझ संग लगी जो प्रीत चलता ही रहे ये सिलसिला
नीयत में कोई दाग़ नहीं ना ही कोई फरेब दिल में
हमेशा खैरियत चाही हमसे अब तलक जो भी मिला
फ़िर तुझसे से तो नाता इश्क़ का जोड़ा है हमने
सनम तुझें तो भूले से भी हम कैसे भूलेंगे भला
© V K Jain