...

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खुमार तुम्हारे प्यार का
बसाकर तुम्हारे प्यार को अपनी आँखों में .. हाँ ! बहुत इतराती हूँ मैं ..
देखते हो जब जब तुम मेरी तरफ़ प्यार से ..
हाय ! बहुत शरमाती हूँ मैं ..
थामकर मेरी हथेली अपने हाथों में ..
जब हल्का सा गुदगुदाते हो तुम ..
क्या कहूँ ! मेरे दिल को
कितनी ज़ोरों से धड़काते हो तुम ..
थोड़ा सा करार थोड़ी बेक़रारी के दिन हैं ..
ये सर्दी के दिन भी
बड़ी खुमारी के दिन हैं ..
साथ तुम्हारा हो तो प्यारा सा लगता है .. हर लम्हा ..
बस तुम्हारे ख़यालों से ही खूबसूरत सी हो जाती है .. मेरी हर सुबह और मेरी हर शाम तनहा ,
पागल सा कर देता है मुझे तुम्हारा यूँ कसकर गले से लगा लेना ..
बहुत सुकून देता है मुझे , तुम्हारा यूँ मेरी बेचैनियों को बढ़ा देना ..
जब जब तुम्हारे साथ खुलकर मुस्कुराती हूँ मैं ..
यें दौड़ ज़िंदगी की , हारकर भी जीत जाती हूँ मैं !