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दोहे

© Nand Gopal Agnihotri
रहे निरामय देह तो, सुखी रहे संसार।
कंचन काया ही सदा,जीवन का आधार।।१।।
उदर व्याधि जड़ मूल है,करिए सोच-विचार।
जल भोजन घरका सही, हल्का शाकाहार।।२।।
प्रकृति देती है सदा, सर्वोत्तम...