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सत्य या असत्य ✍


सत्य है या असत्य यह निरपेक्ष और सार्वभौमिक धारणा है , हालाँकि स्यात् को माने तो इसके भी अनेक पक्ष है। ग़लत है या सही यह एक सापेक्ष धारणा है, अर्थात् सही और ग़लत व्यक्तिनिष्ठ व्याख्याओं पर निर्भर है, किसी को ग़लत लगेगा तो किसी को सही ।

अगर आपको कोई विचार , अवधारणा या वस्तु ग़लत लगे और आप अपनी अभिव्यक्ति का दमन इस कारण करो की कोई बुरा मान जाएगा या आपकी आलोचना की जाएगी , तो आप बेहद कमजोर है । आप के दिल पर बोझ रहेगा कि मुझे अभिव्यक्ति करनी चाहिए थी , हालाँकि एक समय के बाद जब बहुत देर हो चुकी होती है फिर अभिव्यक्ति करने का कोई अर्थ भी नहीं रहता।