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🪶🪶मैं अक्षरों से खेलता हूं!🖋️🖍️
🪶🪶🪶📝🖋️🖋️🖊️
आंसूओं को
शब्द देता हूं,
खुशियों को
शक्ल देता हूं,
क्रोध-विद्वेष को
निकास देता हूं,
रूमानियत का
आभास देता हूं,
दुविधा को नित
निदान देता हूं,
प्रकृति को नए
परिधान देता हूं,
सपनों को सुनहरी
रंग देता हूं,
बहकते कदमों को ज़िंदगी का
ढंग देता हूं,
टूटे निराश दिल को
आस देता हूं,
कठिन परिस्थितियों में
सदा साथ देता हूं,
तन्हा रूह को दोस्ताना
हाथ देता हूं,
सकारात्मकता को
विस्तार देता हूं,
नकारात्मकता को
निस्तार देता हूं,
🪶🖍️
क्योंकि
अक्षरों से खेलता हूं,
काव्य-रस उड़ेलता हूं
कथाएं-कहानियांं ढालता हूं,
उम्मीदों को उछालता हूं,
विचारों को उबालता हूं,
कलम की नोक से,
स्याही के छौंक से
आने वाले कल को
संवारता हूं!
🪶🪶🪶📝🖍️🖋️🖋️
—Vijay Kumar
© Truly Chambyal