घर की दीवार..
याद आ रही है तेरी
हर चढ़ती रात कहती है..
आज भी दिल में हो तुम
मेरे घर की दीवारें कहती है....
फेहरिस्त इल्जामात की
बस यही मेरी चलती है..
इल्म ना है तुम्हे मेरे अक्स का
तो तड़प मुझे ही क्यूं चुभती है ..??
© अदीत श्रीवास्तव
हर चढ़ती रात कहती है..
आज भी दिल में हो तुम
मेरे घर की दीवारें कहती है....
फेहरिस्त इल्जामात की
बस यही मेरी चलती है..
इल्म ना है तुम्हे मेरे अक्स का
तो तड़प मुझे ही क्यूं चुभती है ..??
© अदीत श्रीवास्तव