मेरी मां...
क्या लिखूं मैं उस मां के बारे में जो नादान थी
बनी थी जब पहली बार मेरी मां,महज 16 साल थी
दुनियां के रीत रिवाजों से वह अंजान थी
ज़रूरत थी उसे संभालने की, उसने घर संभाला था
पूरा इलाका बताता है मुझे,
उसने बड़े नाजो से पाला था
""कोई हाथ नही लगाएगा मेरी बच्ची को "
ये कहकर पूरी दुनिया से वह लड़ जाती थी
एक मां...
बनी थी जब पहली बार मेरी मां,महज 16 साल थी
दुनियां के रीत रिवाजों से वह अंजान थी
ज़रूरत थी उसे संभालने की, उसने घर संभाला था
पूरा इलाका बताता है मुझे,
उसने बड़े नाजो से पाला था
""कोई हाथ नही लगाएगा मेरी बच्ची को "
ये कहकर पूरी दुनिया से वह लड़ जाती थी
एक मां...